The King of Music [1948-1997]
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AAH Complete Programme CD # 2 (A Tribute Programme Nusrat Fateh Ali Khan) [NusratSahib.Com]






   Lyrics - Thoughts in the World

ये 23 मार्च 1965 की बात है जब रेडियो पाकिस्तान ने जश्न-इ-बहारा के नाम से एक म्यूजिकल फेस्टिवल मुनाक्यत किया, तब बहुत से फंन्कारो के साथ-साथ एक नोजवान "नुसरत" भी था....जिस की आवाज़ और सुरों की गले से वापिस सथिथि को देखते हुए लोग हेरान रह गए और यु उनके फन्ने सफ़र का आगाज़ हुआ , और आसिता-आसिता धीरे-धीरे "नुसरत फ़तेह अली खान" मूसिकी में रचते बसते चले गये..

और , और फिर आया 1979 , 1979 जाने के वो बरस जब आचानक ही "नुसरत फ़तेह अली खान" की आवाज़ ने सारी ही दुनिया की मूसिकी में हल्ल्चल पैदा कर दी...



"Dam-Dam Mast Kalandar Mast Mast"....

ये आवाज़ के जादूगरी के नाम से मशहूर हुई, लोग पूजने लगे , चाहने लगे, पर्दरिस्त करने लगे खुद की तरह, पाकिस्तान के साथ-साथ दुनिया के दुसरे मुबालिक भी फ्रंच,इंग्लैंड,जापान, अमेरिका , इंडिया में तो "नुसरत फ़तेह अली खान" के कर्ज़दार मुन्ज्दर थे ही ये के कब हमारे दरम्यान होगे ये...

और फिर एक-एक लमह बे-चैनी , बे-करारी में गुजरने लगा, दिल ढूढने लगा , आखे तलाश करने लगी....

"निगाहे ढूड रही है , तुजी को ए "नुसरत"
के अब तो वक़्त गुजरता नहीं , बिना तेरे"
(All eyes waiting for You Nusrat...,
Now It is very hard spend time without You...)



ਸਾੰਨੂ ਇਕ ਪਲ ਚੈਨ ਨਾ ਆਵੇ ,
ਸਾੰਨੂ ਇਕ ਪਲ ਚੈਨ ਨਾ ਆਵੇ
ਸਜਨਾ ਤੇਰੇ ਬਿਨਾ - ਓਹ ! ਸਜਨਾ ਤੇਰੇ ਬਿਨਾ
ਦਿਲ ਕਮਲਾ ਡੁਬ - ਡੁਬ ਜਾਵੇ ,
ਦਿਲ ਕਮਲਾ ਡੁਬ - ਡੁਬ ਜਾਵੇ
ਸਜਨਾ ਤੇਰੇ ਬਿਨਾ ਓਹ ! ਸਜਨਾ ਤੇਰੇ ਬਿਨਾ
(I cannot find a moments peace, My beloved, without you
My foolish heart sinks lower and lower,My beloved, without you)

ये सोचने की बात है , के पाकिस्तान के शहर "फैसलाबाद" में पैदा होने वाले एक शकश ने अपने फन और आवाज़ के जरिए पूरी दुनिया को अपना गर्वीदा कैसे कर लिया...

ये मुसिकी की तालीम इन्होने अपने वालिद "फ़तेह अली खान" और चाचा "मुबारक अली खान" से हासिल की, इन के वालिद और चाचा अपने वक़्त के मकबूल कावाल और मुसिकी के उस्तादों में जाने जाते थे...
यु "नुसरत फ़तेह अली खान" अपने चाचा के साथ कावाल फन का परचार करने लगे..

"नुसरत फ़तेह अली खान" कहते थे मुझे करूज और सोह्रत दरगाहो और मजह्रो की खाक छानने से नसीब हुई , और सिर्फ दरगाहो और मजह्रो में जो क़वालिया गाई जाती थी अब पूरी दुनियां उन क़वालिया की दीवानी है , उन नामो की दीवानी जिन का नाम मैं सारी ज़िन्दगी पुकार-पुकार लेता रहा हूँ


“Nusrat Fateh Ali Khan” would say that I have the got the fortune and reputation by going on foot to "Dargahs" (Shrines) , and the Qawalis were sung only at the “Dargahs” and now the whole world is fascinated by the singing of the Qawwalis and it is possessed of only those names, which I have chanted throughout my whole life by way of my supplication and prayer.


अब तो "नुसरत फ़तेह अली खान" का फन उन का नाम पाकिस्तान से ले कर हॉलीवुड तक सोह्रत और मक्मुलित की दलील से जाना जाता है

क्या आप जानते है के आप के "नुसरत फ़तेह अली खान" एक अमेरिकन यूनिवर्सिटी में म्यूजिक के एजाती प्रोफेसर थे ...और अक्सर वहा मुसिकी की तालीम दिया करते थे
जापान , अमेरिका , हिंदुस्तान और इंग्लैंड में तलवान "नुसरत फ़तेह अली खान" के फन और उन की सख्श्य्त पर डॉक्टर की डिग्री हासिल कर रहे है....

क्या आप जानते है के आप के "नुसरत फ़तेह अली खान" ने राग और रागनिया भी इजात की, और जापान में "नुसरत फ़तेह अली खान" की इजात की हुई रागनिया और रागों पर साइंटिस्ट ताजुराब्गात (रिसर्च) कर रहे है

हा अभी आखरी बार ऐसा हुआ, के "खान साब" को जापान में एक हेलीकाप्टर के जरिए ".... बुलंद पहाड़" की चोटी पर पुह्चाया गया और उन से कहा गया आप सुबह का राग गाये , और साइंटिस्ट उन की गाइकी के दोरान माहोल पर होने वाले असर का साइंसई ताजैयाँ करते रहे , और देखते रहे के उन की आवाज़ से निकलते रागों का माहोल पर क्या असर होता है

लेकिन , लेकिन "खान साब" की मौत के साथ ही ये सब बाते ख़ामो ख्याल लगने लगी , "खुशिया ग़मो की तारीख चादर उड़ के सो गई....

"ग़म है या ख़ुशी है तू
मेरी ज़िन्दगी है तू "

   The Legend USTAD NUSRAT FATEH ALI KHAN SAHIB


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